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झील सी आंखों में

(प्रतियोगिता के लिए)

पलकों को झुकाकर चलती हूँ क्यूं
ये राज़ तुम्हे है समझाना
क्योंकि मेरी झील सी आंखों में
भरा इश्क़ की मय का पैमाना

पलकों को झुकाकर .....

उफ्फ़ मेरी अदा कुछ ऐसी है
मुश्किल है दिल का सम्हल पाना
क्योंकि मेरी झील सी आंखों में
भरा इश्क़ की मय का पैमाना

पलकों को झुकाकर .....

जो तुमने नज़रें मिलाई सनम
बन जायेगा फिर कोई अफ़साना
क्योंकि मेरी झील सी आंखों में
भरा इश्क़ की मय का पैमाना

पलकों को झुकाकर .....

गलियों में हमारी कई हैं पड़े
लेके अपने दिलों का नज़राना
क्योंकि मेरी झील सी आंखों में
भरा इश्क़ की मय का पैमाना

पलकों को झुकाकर .....

दीदार की हसरत छोड़ भी दो
कहीं लूट न ले मेरा शरमाना
क्योंकि मेरी  झील सी आंखों में
भरा इश्क़ की मय का पैमाना

पलकों को झुकाकर .....

✍️प्रीति ताम्रकार, जबलपुर(मप्र

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8 Comments

Zakirhusain Abbas Chougule

23-Sep-2021 09:58 AM

Very nice

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Gunjan Kamal

23-Sep-2021 08:18 AM

Very nice 👌

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Swati chourasia

23-Sep-2021 06:51 AM

Very beautiful

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